नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नई दिल्ली स्थित आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन और संगठनात्मक बदलावों को लेकर गहन मंथन हुआ। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के संगठन महासचिव बी.एल. संतोष समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक न सिर्फ पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व बल्कि राज्य इकाइयों के पुनर्गठन को लेकर भी निर्णायक मानी जा रही है।
जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ता गया, अब नई नियुक्ति की तैयारी
भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जनवरी 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। पार्टी संविधान के अनुसार उनका कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था। हालांकि, आगामी लोकसभा चुनावों और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल फिलहाल अनौपचारिक रूप से बढ़ा दिया गया था। अब जब लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और पार्टी को संगठनात्मक रूप से और अधिक मजबूत करने की ज़रूरत है, तो नेतृत्व परिवर्तन को लेकर नए सिरे से कवायद शुरू कर दी गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नई नियुक्ति की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
जेपी नड्डा की शाह से मुलाकात के बाद मंथन और तेज
इससे पहले मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से एक विशेष मुलाकात की थी। इस बैठक को बेहद गोपनीय रखा गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार इसमें नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति समेत संगठनात्मक नियुक्तियों पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री आवास पर बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा अब नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में निर्णायक कदम उठाने जा रही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आठ नामों पर मंथन
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए फिलहाल जिन आठ नेताओं के नाम सबसे आगे हैं, उनमें शिवराज सिंह चौहान, सुनील बंसल, धर्मेन्द्र प्रधान, रघुवर दास, स्मृति ईरानी, वानति श्रीनिवासन, तमिलिसाई सौंदर्यराजन और डी. पुरंदेश्वरी प्रमुख हैं।
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शिवराज सिंह चौहान: चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान न केवल संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं, बल्कि सामाजिक समीकरणों को साधने में भी माहिर माने जाते हैं। लाडली बहना योजना जैसे सामाजिक अभियानों ने उन्हें एक जनप्रिय नेता के तौर पर स्थापित किया है। वे OBC वर्ग से आते हैं और RSS से भी उनका गहरा संबंध है।
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सुनील बंसल: संगठनात्मक राजनीति के रणनीतिकार माने जाने वाले बंसल उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें संघ का करीबी और जमीनी स्तर पर मजबूत नेता माना जाता है।
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धर्मेन्द्र प्रधान: ओडिशा से आने वाले वर्तमान शिक्षा मंत्री न सिर्फ एक अनुभवी संगठनकर्ता हैं, बल्कि मोदी-शाह की कोर टीम के भी विश्वसनीय सदस्य माने जाते हैं। OBC समुदाय से होने के कारण वे भाजपा के सामाजिक आधार को और मजबूत कर सकते हैं।
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रघुवर दास: झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे दास ने राज्य में स्थिर शासन दिया और संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ रही है। वे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं।
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स्मृति ईरानी: केंद्रीय मंत्री और पार्टी की जानी-मानी महिला चेहरा होने के साथ-साथ ईरानी का दक्षिण भारत में भी प्रभाव है। वे कई अहम मंत्रालयों का कुशल संचालन कर चुकी हैं।
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वानति श्रीनिवासन: भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनका संगठनात्मक अनुभव मजबूत रहा है। तमिलनाडु में भाजपा को मजबूती देने में उनकी अहम भूमिका रही है।
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तमिलिसाई सौंदर्यराजन: तमिलनाडु भाजपा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और तेलंगाना की राज्यपाल रह चुकीं तमिलिसाई, दक्षिण भारत में पार्टी के लिए एक भरोसेमंद चेहरा हो सकती हैं।
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डी. पुरंदेश्वरी: एनटी रामाराव की बेटी और वर्तमान आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं। वे कांग्रेस में मंत्री रह चुकी हैं और अब भाजपा के लिए आंध्र और तेलंगाना में जनाधार बढ़ाने में कारगर मानी जा रही हैं।
राज्यों में भी संगठनात्मक फेरबदल की तैयारी
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि पार्टी को केवल केंद्रीय नेतृत्व ही नहीं, बल्कि राज्यों में भी संगठनात्मक मजबूती की जरूरत है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी लगभग आधा दर्जन राज्यों में नए अध्यक्षों के नाम तय कर चुकी है, जिनकी घोषणा इसी सप्ताह की जा सकती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा जल्द संभव
भाजपा सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक घोषणा एक सप्ताह के भीतर की जा सकती है। हालांकि पार्टी ने इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन लगातार हो रही बैठकों और राजनीतिक गतिविधियों ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि भाजपा अब नेतृत्व परिवर्तन को लेकर गंभीर है।