Burhanpur News : गोपाल देवकर/बुरहानपुर :बुरहानपुर जिले के आदिवासी बहुल धूलकोट क्षेत्र के पिपराणा गांव में स्थित प्राथमिक और माध्यमिक शाला की हालत बेहद दयनीय है। एक ओर सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर यहां के बच्चे जान जोखिम में डालकर जर्जर भवन और झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं।
Burhanpur News : कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई झोपड़ी में हो रही है, जबकि कक्षा 6 से 8 तक का विद्यालय एक जर्जर भवन में संचालित किया जा रहा है। विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है — न पीने का पानी, न शौचालय, और न ही सुरक्षित भवन।
Burhanpur News : स्थिति यह है कि कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई केवल एकमात्र शिक्षिका के भरोसे चल रही है, जबकि प्राथमिक विभाग में तीन शिक्षक हैं। वहीं, एक पक्का अतिरिक्त कक्ष मौजूद होने के बावजूद वह ग्रामीणों द्वारा सामान रखने के लिए कब्जा कर लिया गया है।
Burhanpur News : स्कूल में बच्चों को मिलने वाली पाठ्यपुस्तकें भी समय पर वितरित नहीं की गई हैं। कबाड़ जैसे कमरे में रखी गईं ये किताबें कभी भी बारिश के पानी में बह सकती हैं।
Burhanpur News : मौजूदा शिक्षिका ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई वर्षों से वह अकेली माध्यमिक कक्षाओं को पढ़ा रही हैं और सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
Burhanpur News : विद्यालय परिसर में निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि अतिरिक्त कक्ष के बरामदे तक में ग्रामीणों का सामान फैला हुआ है, और प्लास्टिक की झोपड़ीनुमा शौचालय उसी कक्ष से सटा हुआ है।
Burhanpur News : प्रधान पाठक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि भवन को तोड़ने की बात कई बार हुई, लेकिन हर बार सिर्फ वादे किए गए, कार्रवाई नहीं हुई। पिपराणा का यह स्कूल अव्यवस्थाओं का प्रतीक बन चुका है, जहां शिक्षा केवल नाम मात्र की रह गई है और बच्चों का भविष्य गंभीर संकट में है।