South-facing Lord Sri Mahakaleshwar : उज्जैन | देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण मास की पहली भव्य सवारी 14 जुलाई को निकलेगी। इस अवसर पर भगवान महाकालेश्वर को “मनमहेश” स्वरूप में सजाया जाएगा और वे रजत पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। यह आयोजन उज्जैन की धार्मिक परंपरा, आस्था और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है, जिसमें हजारों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए सड़कों पर उमड़ते हैं।
पूजन-अर्चन के बाद होगा नगर भ्रमण
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर प्रथम कौशिक ने बताया कि भगवान की सवारी निकलने से पहले मंदिर सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन होगा। तत्पश्चात भगवान श्री मनमहेश रजत पालकी में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल द्वारा पालकी को सलामी दी जाएगी। इसके बाद परंपरागत मार्ग से सवारी प्रारंभ होगी।
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सवारी का मार्ग
भगवान महाकालेश्वर की सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। वहां मां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
घर बैठे भी होंगे दर्शन – लाइव प्रसारण
मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं के लिए फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है। साथ ही चलित रथ पर लगे एलईडी स्क्रीन के माध्यम से भी मार्ग में खड़े श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे। चलित रथ में लगे ‘लाइव बॉक्स’ के जरिए पूरे मार्ग का सीधा प्रसारण निर्बाध रूप से किया जाएगा, जिससे दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी दर्शन से वंचित न रहें।
श्रद्धालुओं व दुकानदारों से की गई विशेष अपील
- सवारी की मर्यादा और व्यवस्था बनाए रखने हेतु मंदिर समिति व प्रशासन ने श्रद्धालुओं व दुकानदारों से कुछ जरूरी निर्देशों का पालन करने की अपील की है:
- सवारी मार्ग में वाहन खड़े न करें, गलियों को खाली रखें
- तेल के कड़ाव, भट्टियाँ व खुले आग के स्रोत न रखें
- प्रसाद, फल, सिक्के, नारियल आदि न फेंकें
- सवारी के दौरान उल्टी दिशा में न चलें, अपने स्थान पर ही खड़े रहें
- पालकी के चारों ओर अनावश्यक भीड़ इकट्ठी न हो
- चित्र, प्रसाद आदि न बांटें जब तक पालकी पूरी तरह निकल न जाए
सीमित सहभागिता, परंपरा का सम्मान
इस बार सवारी में केवल पारंपरिक नौ भजन मंडलियां और झांझ-डमरू दल को शामिल किया जाएगा। यह निर्णय सवारी की गरिमा और भक्तिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए लिया गया है।
प्रशासन मुस्तैद
उज्जैन जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। यातायात रूट डायवर्जन, चिकित्सा सहायता और सुरक्षा बल तैनात रहेंगे ताकि श्रद्धालु निश्चिंत होकर दर्शन कर सकें।