Export Scam Mastermind : नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई को 26 साल पुराने एक बहुचर्चित आर्थिक अपराध मामले में बड़ी सफलता मिली है। करोड़ों रुपये की ठगी कर अमेरिका में छिपी बैठी मोनिका कपूर आखिरकार सीबीआई की गिरफ्त में आ गई है। अमेरिकी अदालत ने मोनिका के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है और बुधवार रात तक सीबीआई की टीम उसे भारत लेकर आ सकती है। मोनिका कपूर पर साल 1999 में करोड़ों के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट घोटाले का आरोप है। इंटरपोल ने भी उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ था। दिल्ली की अदालत ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ यानी घोषित अपराधी घोषित किया था और उसकी गिरफ्तारी के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे थे।
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क्या है पूरा मामला?
ये घोटाला साल 1999 का है, जब मोनिका कपूर ने अपने दो भाइयों—राजन और राजीव खन्ना—के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन नकली एक्सपोर्ट डॉक्युमेंट्स की मदद से इन्होंने भारत सरकार से 16 ‘रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस’ हासिल किए। इनमें से 14 लाइसेंस एक अन्य कंपनी को बेच दिए गए, जिसने इनका इस्तेमाल कर बिना किसी कस्टम ड्यूटी के भारी मात्रा में सोना आयात किया। इस स्कैम की वजह से भारत सरकार को करीब 6.8 लाख डॉलर यानी लगभग 5.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जांच और फरारी की लंबी कहानी
इस मामले की शुरुआती जांच डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने की थी। सितंबर 1999 में मोनिका कपूर से पूछताछ भी हुई थी, लेकिन मामला जटिल होता गया और 2002 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया।
2003 में दिल्ली की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मोनिका के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया और 2004 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की। लेकिन मोनिका कपूर लगातार फरार रही और अदालत में पेश नहीं हुई। आखिरकार फरवरी 2006 में कोर्ट ने उसे ‘घोषित अपराधी’ घोषित कर दिया। भारत सरकार ने इंटरपोल से मदद मांगी और मोनिका कपूर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया गया। तब से लेकर अब तक वह अमेरिका में छिपी हुई थी।
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प्रत्यर्पण की लड़ाई और सीबीआई की जीत
इस हाई-प्रोफाइल प्रत्यर्पण केस में भारत सरकार ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अमेरिकी अदालत में मजबूत पैरवी की। आखिरकार कोर्ट ने मोनिका कपूर को भारत भेजे जाने की अनुमति दे दी। अब सीबीआई की टीम बुधवार रात तक उसे भारत लेकर आएगी और दिल्ली की अदालत में पेश करेगी।
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क्या होगा अगला कदम?
मोनिका कपूर की वापसी से यह बहुचर्चित घोटाला फिर से सुर्खियों में आ गया है। माना जा रहा है कि सीबीआई इस मामले में फिर से कुछ पुराने दस्तावेज खंगाल सकती है और उसकी गिरफ्तारी के बाद कई और कड़ियां सामने आ सकती हैं। अब सभी की नजर इस बात पर है कि 26 साल से फरार इस आर्थिक अपराधी से पूछताछ में क्या बड़े खुलासे होंगे, और क्या उसके दो भाइयों और अन्य सहयोगियों की भूमिका पर भी शिकंजा कसेगा?